Wednesday, 28 July 2010

वो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाए!वो खुशी ही क्या जो होठों पर रह जाए!कभी तो समझो मेरी खामोशी को!वो बात ही क्या जो लफ्ज़ आसानी से कह जायें

वो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाए!वो खुशी ही क्या जो होठों पर रह
जाए!कभी तो समझो मेरी खामोशी को!वो बात ही क्या जो लफ्ज़ आसानी से कह
जायें

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